आँखों में तुम्हारी भी तो हँसी उतर आती होगी
जब याद की कोई लड़ी दिल से गुज़र जाती होगी
फिर खुद को समेट कर चुपके से तुम भी
कोरो पे ठहरा वो अश्क छुपाती तो होगी
कभी पुरानी सी वो ग़ज़ल जब कानो में पड जाती होगी
दिल की कली खुद ही खिल जाती होगी
लब पे एक आह आती तो होगी
और मेरी तस्वीर तुम्हारी आँखों में उतर जाती तो होगी
हर एक शख्स में मेरी छवि सी नज़र आती होगी
फिर नज़र चुरा के सबसे तुम आगे भी बढ़ जाती होगी
कितना भी निभा लो तुम दुनिया की इन रस्मो को
जानता है दिल हर मन्नत में मेरे लिए एक दुआ आती तो होगी
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