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Saturday, December 3, 2011

मैं और तुम



आँखों में तुम्हारी  भी तो हँसी उतर आती होगी 
जब याद की कोई लड़ी दिल से गुज़र जाती होगी
फिर खुद को समेट कर चुपके से तुम भी 
कोरो पे ठहरा वो  अश्क छुपाती तो होगी
कभी पुरानी सी वो ग़ज़ल जब कानो में पड जाती होगी
दिल की कली खुद ही खिल जाती होगी
लब पे एक आह आती तो होगी 
और मेरी तस्वीर तुम्हारी  आँखों में उतर जाती तो होगी 
हर एक  शख्स में मेरी छवि सी नज़र आती होगी
फिर नज़र चुरा के सबसे तुम आगे भी बढ़ जाती होगी 
कितना भी निभा लो तुम दुनिया की इन रस्मो को 
जानता है दिल हर मन्नत में मेरे लिए एक दुआ आती तो होगी

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