उन्हें रोटी में उलझाए रखना
मुंह खोलें तो
जाति पांती में भुलाए रखना
वाद विवाद करता है प्रतिवादी
उसे हास्य पात्र बनाए रखना
ना कुछ कर सको तो
शहरों के नाम बदल देना
बहुत कोई बढ़ चढ़ बोले
तो उस पर कई धाराएं लगा देना
याद रहे ये भोली जनता है
इसे भविष्य के वादों
और इतिहास की गलतियों में
बहलाए रखना।।
मनीषा वर्मा
#गुफ़्तगू
सुंदर और सटीक !
ReplyDeleteसटीक
ReplyDeleteसमसामयिक प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeleteतो गलती किसकी.....जनता की ,अपनी बुद्धि विवेक को मार कर क्यों ऐसी बातों से रीझ भी जाते है और बहक भी.
ReplyDeleteसटीक यथार्थ परक रचना ।
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