उन्हें रोटी में उलझाए रखना
मुंह खोलें तो
जाति पांती में भुलाए रखना
वाद विवाद करता है प्रतिवादी
उसे हास्य पात्र बनाए रखना
ना कुछ कर सको तो
शहरों के नाम बदल देना
बहुत कोई बढ़ चढ़ बोले
तो उस पर कई धाराएं लगा देना
याद रहे ये भोली जनता है
इसे भविष्य के वादों
और इतिहास की गलतियों में
बहलाए रखना।।
मनीषा वर्मा
#गुफ़्तगू