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Saturday, February 12, 2022

आधा हिस्सा

 हां आओ बारिश का पानी बांट लें

आसमां से जो बरसे तुम रखना

आंखों से तुम्हारी जो ढुलके 

मैं रख लेती हूं

आओ बारिश का पानी बांट लें


आओ ये धूप बांट लें

सर्दियों की मीठी वाली तुम रखना

रास्तों की कङी तीखी मैं रख लेती हूं

आओ  ये धूप बांट लें


आओ ये शरद चांदनी बांट लें

श्वेत धवल तुम रखना

तन्हा उदास क्षुब्ध सी

मैं रख लेती हूं

आओ ये शरद चांदनी बांट लें


आओ दिन और रात बांट लें

रात पर जब दिन उतरता हो तुम रखना

दिन में जब रात घुलती हो

मैं रख लेती हूं

आओ दिन और रात बांट लें


आओ ये अपनी ज़िंदगी बांट लें

दुनियावी खुशियों वाली तुम रखना

उदास गज़लों की गुफ्तगू

मैं रख लेती हूं

आओ ये अपनी ज़िंदगी  बांट लें


 #गुफ्तगू

मनीषा वर्मा

6 comments:

  1. आओ ये अपनी ज़िंदगी बांट लें

    दुनियावी खुशियों वाली तुम रखना

    उदास गज़लों की गुफ्तगू

    मैं रख लेती हूं

    आओ ये अपनी ज़िंदगी बांट लें
    बहुत ही खूबसूरत भाव व अति सुंदर सृजन 😍💓😍💓

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  2. ज़िंदगी बांट लें
    सादर..

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  3. बहुत ही खूबसूरत रचना।
    एक पुराना गीत याद आ गया,
    तुम अपना रंजोगम अपनी परेशानी मुझे दे दो....
    अभिनव सृजन।
    सस्नेह।

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  4. बेहतरीन भावपूर्ण पंक्तियां

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  5. वाह बेहतरीन रचना।
    सस्नेह।

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