माटी कहे कुम्हार से तू क्या रुँधे मोए इक दिन ऐसा आयेगा मैं रुँधूगी तोए
जब तुम लिखना तो कोई गीत लिखना
सतरंगी प्रीत लिखना ।।
आस्था विश्वास के गीत लिखना
तुम अमावस में चांदनी लिखना
वो लिख रहें है नफरतें तो लिखें
जब तुम लिखना तो सतरंगी प्रीत लिखना ।।
मनीषा वर्मा
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