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Thursday, October 30, 2014

तुम खुशनसीब हो

तुम  खुशनसीब हो जो आह भर भी लेते हो
मुझे  अपनी उदासी पर
मुस्कान का आँचल गिराना पड़ता है
आँख में उतरे आँसू  को
पलको के भीतर पी जाना पड़ता है
कोई देख न ले तुम्हारी तस्वीर इन आँखों में
इसलिए नज़र  का पर्दा गिरना पड़ता है
ज़िक्र तुम्हारा आए किसी लब पर
दिल को थाम अनजान बन  जाना पड़ता है
पहचान न ले कोई मेरे जी की पीर
इसलिए तेरे दर के सामने से बेपरवाह गुज़र जाना पड़ता है
मनीषा 

Sunday, October 26, 2014

होती कितनी प्यारी त्यौहार की बेला सारी

होती कितनी प्यारी
त्यौहार की बेला सारी
वो गुज़रा वक्त अगर
लौट आया होता

उस घर की टूटी मुंडेरों पर
एक  दीप जलाया होता
तुलसी तो कब की सूख चुकी पर
उस देहरी पर शीश नवाया होता

उस सूने दरवाज़े पर
वंदनवार सजाया होता
माँ के उस छोटे से मंदिर में
बाल गोपाल बैठाया होता

कितने सजते रंगोली
के ये रंग सारे
हमने तुमने अगर
हर त्यौहार संग मनाया होता

मनीषा



Sunday, October 12, 2014

कुछ ऐसे हादसों में गुज़री है इस तरह उम्र

कुछ ऐसे हादसों में गुज़री है इस तरह उम्र
कि  अब नवाज़िशों से डर  लगता है

तन्हाइयों से इश्क़ कर बैठे हैं  इस तरह  हम
कि  अब महफ़िलों से डर   लगता है

तक़दीर  ने फ़ेरा  है इस तरह से हमारा हर कदम
कि अब तदबीरों  से डर  लगता है

इस तरह से निकले गए हैं तेरे दर से ओ हमकदम
कि  अब मस्जिद मज़ारों  से डर  लगता है

कुछ ऐसी ख्वाहिशों ने तोड़ा  है इस कदर दिल में दम
कि अब मन्नतों दुआओं  से डर  लगता है

किसी ने फेर ली है मुझसे इस कदर मोहब्बत भरी नज़र
कि  अब आइनों से डर  लगता है

मनीषा 

Friday, October 3, 2014

कपड़ा तो अब भारत में ही बनता है

क्या करूँ
कपड़ा तो अब भारत में ही बनता है
लेकिन गाँधी  आज भी नग्न फिरता है

जय किसान का नारा आज भी सभाओं में गूंजता है
फिर भी  किसान को मुआवज़े में २ रूपये का चेक मिलता है

रूप कुंवर को फूंक जो समाज पूजता है
वहाँ सती सावित्री होना सिर्फ दमन लगता है

जहां बिना मीडिया के दामिनी को हक़ नहीं  मिलता है
उस समाज में जनांदोलन भी मज़ाक लगता है

हम बिना कागज़ी कार्यवाही के सरिता देवी इन्साफ नही दिला पाते हैं
विदेशों  से अपमान बाँध ले आ आते हैं

 दो अक्टूबर को झाड़ू लगाते नज़र आते हैं
लेकिन अपनी ही गंदगी नज़र बचा कोने में डाल आते हैं

गर्व से कहतें हैं मेरा देश महान है
फिर अपने ही आप को विश्व में शर्मिंदा कर आते हैं



मनीषा