बात तो कुछ न थी
उसने दूरियां चुन ली
और मैंने ठहरे हुए लम्हे
मैं चुन देती हूँ
शब्दों में दर्द अपने
वो चुप रहता है
मैं पुकारती हूँ उसे हर नफ़स
और वो मेरी खबर रखता है
मनीषा
उसने दूरियां चुन ली
और मैंने ठहरे हुए लम्हे
मैं चुन देती हूँ
शब्दों में दर्द अपने
वो चुप रहता है
मैं पुकारती हूँ उसे हर नफ़स
और वो मेरी खबर रखता है
मनीषा
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