बाग़ यूँ उजड़ गया
बागबाँ देखता रहा
कली कली सिहर उठी
आंसू जो थिरक उठे
शबनमें ढुलक गई
बागबाँ देखता रहा
कली कली सिहर उठी
आंसू जो थिरक उठे
शबनमें ढुलक गई
सुर्ख लाल रक्त सा
गुलाब यूँ मुरझा रहा
बूटा बूटा कराह गया
कोहरा ऐसा छा गया
हवाएँ भी रो पड़ी
गुलाब यूँ मुरझा रहा
बूटा बूटा कराह गया
कोहरा ऐसा छा गया
हवाएँ भी रो पड़ी
माटी तर हो गई
रक्त समुद्र में भरा
चाँद सिसकिया ले रहा
तारे भी सहम गए
रात वहीं ठहर गई
रक्त समुद्र में भरा
चाँद सिसकिया ले रहा
तारे भी सहम गए
रात वहीं ठहर गई
अँधेरा किरण निगल गया
रात से दिन डर गया
भोर का सिन्दूर छिपा
गगन का चन्द्रमा डूबा
ज़िंदगी मौत से ढँप गई
रात से दिन डर गया
भोर का सिन्दूर छिपा
गगन का चन्द्रमा डूबा
ज़िंदगी मौत से ढँप गई
रोए नन्हे फूल प्यारे
झुलसी कोपलें कँवारी
कहर ये कैसा आ पड़ा
धरा हृदय रो पड़ा
मानवता तेरी सो गई
ज़िंदा लाशे दिख रही
झुलसी कोपलें कँवारी
कहर ये कैसा आ पड़ा
धरा हृदय रो पड़ा
मानवता तेरी सो गई
ज़िंदा लाशे दिख रही
विहार में बहार व्योम थी
माली शून्य मन से तक रहा
गगन रक्तिम हो चला
उषा पे वैधव्य छाया
सूर्य भी सिमट चला
खो गई हर ख़ुशी
तमन्नाएँ सब मर गई
माली शून्य मन से तक रहा
गगन रक्तिम हो चला
उषा पे वैधव्य छाया
सूर्य भी सिमट चला
खो गई हर ख़ुशी
तमन्नाएँ सब मर गई
जाग मानव जाग जा
प्यार क्या है प्रीत क्या
जीवन का है गीत क्या
गीत का है सार क्या
गुरबानी की अरदास क्या
क्या लिखा कुरान में
क्या कहा तेरी बाइबल ने
मीत से मीत मिला
दिल से दिल को मिला
खिला दे बस इक हंसी
प्यार क्या है प्रीत क्या
जीवन का है गीत क्या
गीत का है सार क्या
गुरबानी की अरदास क्या
क्या लिखा कुरान में
क्या कहा तेरी बाइबल ने
मीत से मीत मिला
दिल से दिल को मिला
खिला दे बस इक हंसी
जाग उठेगी बहार भी
प्रेम प्रीत बहेगी
हर साँस जी उठे
ऐसा गीत कोई गा
नया सुर तो आज सजा
खिला दे नई रौशनी
झूम उठे ज़िंदगी
मनीषा
प्रेम प्रीत बहेगी
हर साँस जी उठे
ऐसा गीत कोई गा
नया सुर तो आज सजा
खिला दे नई रौशनी
झूम उठे ज़िंदगी
मनीषा
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