ज़िन्दगी की संकरी गलियों में
कुछ रिश्ते अनायास ही आँचल से लिपट जाते हैं
और मेरी तन्हाई कुछ अकेली हो जाती है
मन को छूते हैं कुछ पल हौले हौले से
और एक सुबह निखरी निखरी धूप
मेरे कंधो पर रख देती है हाथ
कितना सुखद होता है
कभी अपने ही अतीत से मिलना
अपने बचपन में लौटना
जब मिलते हैं मीत पुराने
मुझे मेरी याद दिलाते हैं
और मेरे गीत भी मुस्कुराते हैं
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