याद है मुझे आज भी
रात में तुम्हे जान तकिये से यूं लिपटना मेरा
वह किसी और शख्स में तुम्हे देख ठिठकना मेरा
कभी तुम्हारे ख्यालो में भटक मुस्कुराना मेरा
और तुम्हारे खत को किताबो के बीच रख पढना मेरा
अक्सर तुम्हे याद कर और तन्हा हो जाना मेरा
फिर दिल को बहला फुसला महफ़िल में खिलखिलाना मेरा
हर सुबह डाकिए की राह निहारना मेरा
और हर शाम के साथ मायूस हो जाना मेरा
तेरी जुदाई को इम्तिहान समझ सहना मेरा
उस दर्द में भी वो सहेलियों संग मुस्काना मेरा
कभी तनहा तनहा आँसू बहाना मेरा
कभी हर आहट पर वो आँखों के अश्क छुपाना मेरा
तेरे आने की खबर पर वो इतराना मेरा
इन कदमो का थिरकना वो हाथों का कांप जाना मेरा
तुमसे मिलने के लिए वो बहाने से घर से निकलना मेरा
और तुम्हे सामने पा वो रो पड़ना मेरा
मनीषा