माटी कहे कुम्हार से तू क्या रुँधे मोए इक दिन ऐसा आयेगा मैं रुँधूगी तोए
उम्मीद के चिराग भी अंधेरे भर देते हैं
ये तेरे ख़्वाब, कभी नींदें भर देते हैं।।
ज़िक्र करते हैं तेरा बहुत बेरूखी से
रोज़ बहाने से तेरी खबर लेते हैं ।।
मनीषा वर्मा
#गुफ़्तगू
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