एक ख़त मेरे मायके के नाम
उस आंगन में फिर गूंजी होगी ढोलक की थाप
किसी ने फिर जलाई होगी लोहड़ी की वही आग।। पड़ोस की भाभियों ने गाए होंगे गीत और टप्पे
बढ़ बढ़ के बच्चों ने मचाया होगा हंगामा ।।
गली के नुक्कड़ पर बटी होंगी किस्से कहानियों की रेवड़ियां
तुम्हारी आंखों में भी तो वो मंजर पिघल आया होगा ।।
फिर वही पुराना मौसम तुम्हे भी तो याद आया होगा
मोहल्ले की उन गलियों में जिक्र हमारा भी तो आया होगा ।।
मनीषा वर्मा
#गुफ़्तगू
No comments:
Post a Comment