इस शहर में एक रात दफन है
यहाँ अब सूरज नहीं उगता
चांदनी मर चुकी है एक भयावह मौत
चाँद सिर्फ बुझ के रह गया
चीख कर थक चुके अब परिंदे खामोश हैं
तर्क से तर्क न्याय से न्याय ही
हार के रह गया
जिन्होंने जलाई थी मोम की बत्तियां
उन हाथों में मोम पिघल के रह गया
सेक ली सब सियासत दारों ने अपनी अपनी रोटियां
हम कमनसीबों के भाग में जूनून रह गया
क्या कहूँ के जलता है लहु मेरा
आज फिर एक द्रौपदी के भाग्य पर
पितामह भीष्म चुप रह गया
मनीषा
यहाँ अब सूरज नहीं उगता
चांदनी मर चुकी है एक भयावह मौत
चाँद सिर्फ बुझ के रह गया
चीख कर थक चुके अब परिंदे खामोश हैं
तर्क से तर्क न्याय से न्याय ही
हार के रह गया
जिन्होंने जलाई थी मोम की बत्तियां
उन हाथों में मोम पिघल के रह गया
सेक ली सब सियासत दारों ने अपनी अपनी रोटियां
हम कमनसीबों के भाग में जूनून रह गया
क्या कहूँ के जलता है लहु मेरा
आज फिर एक द्रौपदी के भाग्य पर
पितामह भीष्म चुप रह गया
मनीषा
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