सुना है इतिहास में लिखा है
किसी तानाशाह की जद में
बहुत से चिन्हित लोग
बंदूकों की नोक पर
लाक्षागृह में स्नान के लिए चले गए
हाथों में साबुन की बट्टियाँ लिए
चुपचाप भेड़ों की तरह गर्दन झुकाए
उस गृह में जहां पानी नहीं
मृत्यु कर रही थी उनका इंतजार
और समाज निर्लिप्त था अपने ही
अहम में।।
आए बहुत बाद में
संवेदना लिए बहुत लोग
तब जब लाशें सड़ चुकी थीं
मानवता जल चुकी थी
एक चुप की कीमत बहुत
भयंकर होती है
इतिहास में ही पढ़ा है
कि काल चक्र घूमता है
मानुष की फितरत नहीं।।
मनीषा वर्मा
#गुफ़्तगू
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