कोई पीटे झांझ मंजीरे कोई आज़ान उठाए
कर ना सके जो मोल जीव का कैसे दरस वो पाए ।।
कोई करे उठक बैठक कोई सौ स्वांग रचाए
जो किसी का मन दुखाए सो कैसे ज्ञानी कहलाए।।
मन्दिर के ताले खोले , मस्जिद के दरवाज़े खोले
मन का ताला खोल न सके बड़ ज्ञानी कैसे होए ||
माला धारो कण्ठ में दाढ़ी मूँछ बढ़ाए सब ज्ञानी बोले
जो ना बोली बानी प्रेम की भजन अजान सब व्यर्थ होए ||
मनीषा वर्मा
#गुफ्तगू