ज़रा सा हाल जो पूछ लिया
और मन गुनने लगा
सुनहरी धूप के रेशों में
कुछ बुनने लगा
बारिश के गीतों में
स्वप्न सुनने लगा
ज़रा सा हाल जो पूछ लिया
धड़कनें सी थमने लगी
साँसे रुकने सी लगी
रोम रोम गुनगुनाने लगा
ज़रा सा हाल जो पूछ लिया
मनीषा
और मन गुनने लगा
सुनहरी धूप के रेशों में
कुछ बुनने लगा
बारिश के गीतों में
स्वप्न सुनने लगा
ज़रा सा हाल जो पूछ लिया
धड़कनें सी थमने लगी
साँसे रुकने सी लगी
रोम रोम गुनगुनाने लगा
ज़रा सा हाल जो पूछ लिया
मनीषा
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