तेरे भीतर जो खामोश बैठा करता है
वो शख्स जो सब देख कर
सह कर भी
चुप रहा करता है
उस शख़्स के वजूद को
आवाज़ दे और बुला ले
थोड़ी खामोशियाँ बाँटनी है
उस से
मनीषा
वो शख्स जो सब देख कर
सह कर भी
चुप रहा करता है
उस शख़्स के वजूद को
आवाज़ दे और बुला ले
थोड़ी खामोशियाँ बाँटनी है
उस से
मनीषा
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