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Sunday, September 14, 2014

हिंदी दिवस है आज अभिव्यक्ति का एक पल चाहिए

भाषा की परिभाषा के लिए दिन चाहिए
हिंदी दिवस है आज अभिव्यक्ति का एक पल चाहिए
हमे आती है इस बात पर हंसी
आजकल हर बात पर एक दिन चाहिए
पिता हो माँ हो बेटा हो या बेटी
सगे सम्बन्धी हों या दोस्त
एहसासों की अभिव्यक्ति के लिए
भी एक दिन चाहिए
राजा हो या मंत्री कैदी हो या संत्री
कुर्सी का किस्सा हो या
किसी घोटाले का मुकदमा
झगड़ा हो या धरना
हर बात पर कहते हैं की दिन चाहिए
प्यार का दिन झगड़े का दिन
तीर्थ का दिन त्यौहार का दिन
जन्म का दिन शादी का दिन
काम का दिन बेकार का दिन
जिसे देखो उसे ही एक दिन चाहिए
रोज़ रोज़ की आपा धापी में मसरूफ इतने हम यहां
की अब तो मरने को भी हमे एक दिन चाहिए
मनीषा

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