बिटिया मेरी सौगात है
किस्मत का अनमोल उपहार है
मेरे घर आया त्यौहार है
घर भर का श्रृंगार है
थकी माँ के हाथ में थमा पानी का गिलास है
पापा के आने पर खिलखिलाता स्वर है
भैया की कलाई पर सजी राखी है
भाभी के साथ मृदु गप्पों का अहसास है
हर कोने में गूंजती पायलो की रुनझुन है
कमरे में सजी रंगबिरंगी चूड़ियों की खनक है
घर में फैली कच्ची रोटियों की महक है
रसोई में नन्हे हाथों से बनी पहली दाल का स्वाद है
घर की दीवारों पर सजी उसकी कला है
सहलियों के साथ उसकी गुनगुनाती आवाज़ है
मन को हंसा देने वाली उसकी तुतली बातें है
कितने भोले घर घर वाले उसके ये खेल हैं
जब से आई है मन में कुछ बदल गया है
जग जैसे सारा मेरा खिल गया है
ईश्वर का वरदान है
एक खूबसूरत गुदगुदाता एहसास है
बिटिया मेरी
मेरे घर की जान है
मनीषा
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