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Tuesday, April 22, 2014

प्यार छू कर गुज़र गया था

प्यार छू कर गुज़र गया था कभी 
कसक कहीं भीतर बाकी है अभी 
वो वादा तो न कर गया था आने का 
दिल में एक उम्मीद बाकी है अभी 

पलकों में उतरते नही ख्वाब कभी 
सहर तक रहती है आँखों में नमी 
वो बातें तो करता था मिलने की अक्सर 
इसलिए रहती है दरवाज़े पर नज़र टिकी अभी 

मनीषा

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