प्यार छू कर गुज़र गया था कभी
कसक कहीं भीतर बाकी है अभी
वो वादा तो न कर गया था आने का
दिल में एक उम्मीद बाकी है अभी
पलकों में उतरते नही ख्वाब कभी
सहर तक रहती है आँखों में नमी
वो बातें तो करता था मिलने की अक्सर
इसलिए रहती है दरवाज़े पर नज़र टिकी अभी
मनीषा
कसक कहीं भीतर बाकी है अभी
वो वादा तो न कर गया था आने का
दिल में एक उम्मीद बाकी है अभी
पलकों में उतरते नही ख्वाब कभी
सहर तक रहती है आँखों में नमी
वो बातें तो करता था मिलने की अक्सर
इसलिए रहती है दरवाज़े पर नज़र टिकी अभी
मनीषा
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