कुछ लिखने को बुदबुदाती हैं उंगलियाँ
पर क्या लिखूँ ?
तुम्हे ?
तुम से परिचय लिखूँ ?
या तुम से आत्मीयता लिखूँ ?
मन की फुलवारी से कौन सा मोती चुन रखूँ ?
तम्हारे वक्ष से लग कर पाया जो सपंदन लिखूँ
या फिर तुम्हारे अधरों का रस शब्दों में रच रखूँ
पाप पुण्य से परे है जो तुम्हारा मेरा रिश्ता
उसको दुनिया के किन मापदंडों में नाप रखूँ
कुछ पंक्तियों में कैसे वर्षों का हिसाब लिखूँ
शब्दावली भाषा की सीमित है
मन कि वेदना असीमित
फिर तुमको मैं कैसे सिर्फ स्याही में उतार लूँ
कैसे इन पन्नो पर तुम्हारा नाम लिखूँ ?
मनीषा
पर क्या लिखूँ ?
तुम्हे ?
तुम से परिचय लिखूँ ?
या तुम से आत्मीयता लिखूँ ?
मन की फुलवारी से कौन सा मोती चुन रखूँ ?
तम्हारे वक्ष से लग कर पाया जो सपंदन लिखूँ
या फिर तुम्हारे अधरों का रस शब्दों में रच रखूँ
पाप पुण्य से परे है जो तुम्हारा मेरा रिश्ता
उसको दुनिया के किन मापदंडों में नाप रखूँ
कुछ पंक्तियों में कैसे वर्षों का हिसाब लिखूँ
शब्दावली भाषा की सीमित है
मन कि वेदना असीमित
फिर तुमको मैं कैसे सिर्फ स्याही में उतार लूँ
कैसे इन पन्नो पर तुम्हारा नाम लिखूँ ?
मनीषा
No comments:
Post a Comment