मेरी डायरी के कुछ पन्ने
माटी कहे कुम्हार से तू क्या रुँधे मोए इक दिन ऐसा आयेगा मैं रुँधूगी तोए
Pages
(Move to ...)
Home
▼
Sunday, December 30, 2012
केदारनाथ
जब फलक तक दुआ उठे और नामंजूर हो जाए
क्या करे इंसान जब खुदा ही मजबूर हो जाए
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment