माटी कहे कुम्हार से तू क्या रुँधे मोए
इक दिन ऐसा आयेगा मैं रुँधूगी तोए
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Sunday, May 15, 2011
कोई टिप्पणी नही आती!!!
मन रत है, रोटियाँ आसमान से नही बरसती
तन रत है, ज़िन्दगी लम्हो मे नही कटती
शब्द मूक है, लेखनी पर धूल पड़ी,सिर्फ़ इच्छाएँ किसी का पेट नही भरती
ज़िन्दगी यहाँ तपती धूप है, हर किसी को छाँव नही मिलती
इतनी बढ़ी ज़रूरत यहाँ कि मौत से भी अब रफ़्तार नही रुकती॥
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