सब हैं बस एक तुम नहीं हो
रात के पहलू में जैसे चाँद नहीं हो
दरख्तों तले जैसे छाँव नहीं हो
बादलों में जैसे बरसात नहीं हो
सब हैं बस एक तुम ही नहीं हो
#गुफ्तगू
मनीषा वर्मा
रात के पहलू में जैसे चाँद नहीं हो
दरख्तों तले जैसे छाँव नहीं हो
बादलों में जैसे बरसात नहीं हो
सब हैं बस एक तुम ही नहीं हो
#गुफ्तगू
मनीषा वर्मा