पापा सिर्फ पापा नहीं होते
मन का संबल हैं होते
मुश्किलों में बढ़ कर थाम लेने वाले होते है
वो हाथ
गोदी में चढ़ गरदन पर झूल जाने वाला होते हैं दुलार
नज़र नहीं आए हैं अब वो कहीं इस जहां में
पर अब भी रूह में समय हुआ होते है वो विश्वास
अपने अंश में ढूँढा
तो मिल गए उनमे रचे हुए वो ही हाथ
मन का संबल हैं होते
मुश्किलों में बढ़ कर थाम लेने वाले होते है
वो हाथ
गोदी में चढ़ गरदन पर झूल जाने वाला होते हैं दुलार
नज़र नहीं आए हैं अब वो कहीं इस जहां में
पर अब भी रूह में समय हुआ होते है वो विश्वास
अपने अंश में ढूँढा
तो मिल गए उनमे रचे हुए वो ही हाथ