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Friday, June 22, 2012

उधेड़ बुन

बहुत दिन से एक उधेड़ बुन में हूँ 
मैंने तेरे प्यार में हूँ
 या
 तेरे ख्याल में हूँ
बहुत दिन से इस उधेड़बुन में हूँ
चंद काफी के प्यालो में हूँ 
कुछ मीठी बातो में हूँ
 उन बीती बातो में हूँ
बरसो से इस उधेड़ बुन में हूँ
मैं तेरे प्यार में हूँ या तेर ख्वाबों  में हूँ 

Wednesday, June 6, 2012

जब जब उतरती है


जब जब उतरती है
वसुधा के अंचल पर रात नई
मन को आलोडित करती है फिर फिर बात  वही 
यूं तो समय ने देखी होंगी 
कितनी  राते नई नवेली 
पर थम गया था एक पल को काल भी
देख वो मृदु छवि अनछुई 
मिलन था या वो थी बिछोह की रात  निर्मोही
मन आज भी उसांस भर रह जाता है
सोचता है उन नैनो में थी भी या नही बात कोई 

Saturday, June 2, 2012

कविता जन्म लेती है


मन भर आने पर जब बोल अन्दर ही घुटते हैं 
जब निरीह  पीड़ा  से आंसूँ नहीं झरते
तन्हाई में परायी पीर भी जब झकझोर जाती है
और ढलते सूरज के साथ आस की परछाई भी ढल जाती है
तब विवश  मन  में विचार घुमड़ते हैं 
और 
किसी खाली पन्ने की वेदना भरी मरुभूमि पर 
कविता जन्म लेती है